Tuesday, February 1, 2022

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एहि एहि वीर रे

एहि एहि वीर रे
वीरतां विधेहि रे
पदं हदं निधेहि रे
भारतस्य रक्षणाय
जीवनं प्रदेहि रे।।

त्वं हि मार्गदर्शकः
त्वं हि देशरक्षकः
त्वं हि शत्रुनाशकः
कालनाग तक्षकः।।

साहसी सदा भवेः
वीरतां सदा भजेः
भारतीय-संस्कृतिं
मानसे सदा धरेः।।

पदं पदं मिलच्चलेत्
सोत्साहं मनो भवेत्
भारतस्य गौरवाय
सर्वदा जयो भवेत।।

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 माँ, माँ त्वम्  संसारस्य अनुपम् उपहार,

न त्वया सदृश्य कस्याः स्नेहम्,
करुणा-ममतायाः त्वम् मूर्ति,
न कोअपि कर्त्तुम् शक्नोति तव क्षतिपूर्ति।

तव चरणयोः मम जीवनम् अस्ति,
‘माँ’शब्दस्य महिमा अपार,
न माँ सदृश्य कस्याः प्यार,
माँ त्वम् संसारस्य अनुपम् उपहार।